हमराही
मिले तो हम यूँ ही थे ,
मै ना था ना तुम ही थे।
फिर समा बंधने लगा ,
रस भी कुछ घुलने लगा।
एक कदम तेरा बढ़ा,
और एक कदम मेरा बढ़ा।
फिर मै ना तू ही रह गए,
हर एक से हम बन गए ।
यूँ चला सफर ऐसे,
हमराही से हम बन गए ।
वो शाम की यूँ महफिलें ,
उन महफ़िलों की मस्तियाँ।
यूँ किसी का छेड़ना,
और किसी का डाँटना ।
सबकी वो बदमाशियां,
और सबकी वो नादानियां।
है बस गयी तस्वीर वो,
अब दिल से है जाती नहीं ।
दो पल मे ही तो हम मिले ,
फिर दुनिया नयी सी बन गयी ।
है फक्र मुझको वक़्त पे ,
जब मिले तुम मुझको यूँ।
है नयी दुनिया मिली,
तुम दोस्तों के संग यूँ ॥
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