Friday, October 31, 2014

Humraahi

हमराही 


मिले तो हम यूँ ही थे ,
मै ना था ना तुम ही थे।  
फिर समा बंधने लगा ,
रस भी कुछ घुलने लगा।  

एक कदम तेरा बढ़ा, 
और एक कदम मेरा बढ़ा।  
फिर मै ना तू ही रह गए, 
हर एक से हम बन गए । 

यूँ चला सफर ऐसे, 
हमराही से हम बन गए । 
वो शाम की यूँ महफिलें ,
उन महफ़िलों की मस्तियाँ।  

यूँ किसी का छेड़ना, 
और किसी का डाँटना । 
सबकी वो बदमाशियां, 
और सबकी वो नादानियां। 

है बस गयी तस्वीर वो, 
अब दिल से है जाती नहीं । 
दो पल मे ही तो हम मिले ,
फिर दुनिया नयी सी बन गयी । 

है फक्र मुझको वक़्त पे ,
जब मिले तुम मुझको यूँ।  
है नयी दुनिया मिली, 
तुम दोस्तों के संग यूँ ॥ 



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