दोस्ती
शब्दों का कोई खेल नहीं
दिलों के मेल की माया है
निस्स्वार्थ निश्बैर हर खुशी
का नाम है बस दोस्ती
शब्दों का कोई खेल नहीं
दिलों के मेल की माया है
निस्स्वार्थ निश्बैर हर खुशी
का नाम है बस दोस्ती
ज़िन्दगी अगर तपस्या है
तो वरदान है ये दोस्ती
ज़िन्दगी अगर भगवान् है
तो वंदना है दोस्ती
तो वरदान है ये दोस्ती
ज़िन्दगी अगर भगवान् है
तो वंदना है दोस्ती
निस्स्वार्थ फूलों का खिलना
भंवरों के लिए है दोस्ती
और हवा का सरसराना
है धरा से दोस्ती
भंवरों के लिए है दोस्ती
और हवा का सरसराना
है धरा से दोस्ती
बातों के तीरों से नहीं
दिल से है बनती दोस्ती
अवसान से और अंत तक
बस प्रेम ही है दोस्ती
दिल से है बनती दोस्ती
अवसान से और अंत तक
बस प्रेम ही है दोस्ती
जो उपकार के आधीन हो
वो दोस्ती निष्प्राण है
जिसे उपकार से सरोकार नहीं
वो नींव है बस दोस्ती
वो दोस्ती निष्प्राण है
जिसे उपकार से सरोकार नहीं
वो नींव है बस दोस्ती
दो शब्द कागज़ पर लिखने से
जायर नहीं होती दोस्ती
कलम दवात कागज़ कभी
जायर नहीं होती दोस्ती
कलम दवात कागज़ कभी
नहीं समेट सकते दोस्ती
कलम कवि की लिख रही
निस्स्वार्थ भाव बस लिख रही
इस भावना के पीछे छिपे
कुछ भाव ही हैं दोस्ती ||
निस्स्वार्थ भाव बस लिख रही
इस भावना के पीछे छिपे
कुछ भाव ही हैं दोस्ती ||
3 comments:
nice one...... :)
great piece of work.. n true to its meaning..
really very nice....had u let it without rhyming scheme....it would have been awesome.....even with it..its no less than awesome..carry on the gr8 work :)
true...in all senses....brilliant piece of work...
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